मुस्लिम लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने PM मोदी और CM योगी को लिखा पत्र
यूनिफॉर्म सिविल कोड के सम्बंध में मुस्लिम लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि देश में सभी धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार शादी विवाह की संवैधानिक अनुमति है। मुस्लिम समुदाय सहित अनेक समुदायों को अपने धार्मिक विधि के अनुसार विवाह तलाक के अधिकार भारत की स्वतंत्रता के पूर्व से प्राप्त है मुस्लिम समुदाय को 1937 से इस सम्बंध में मुस्लिम एप्लिकेशन एक्ट के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त है।
चर्चा के बाद ही लागू हो
वहीं, पत्र के माध्यम से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बताया गया है कि स्वतंत्रता के बाद भी संविधान सभा में इस सम्बंध में हुई बहस में प्रस्तावना समिति के चेयरमैन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि सरकार इसे धार्मिक समुदाय पर छोड़ दे और सहमति बनने तक इसे लागू न करे। साथ ही बाबासाहेब ने संविधान सभा में ये भी कहा था कि राज्य या केंद्र सरकार इसे लागू करने के पूर्व धार्मिक समुदाय या उनके धर्मगुरुओं से चर्चा के बाद ही इसे लागू करने का निर्णय ले, इसे जबरन थोपने का प्रयास उचित नहीं होगा।
सरकार का काम समस्याओं का हल करना है- बोर्ड
देश के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड पर सभी धार्मिक समूहों के संगठनों पर सर्वप्रथम सरकार अपने मसौदे के साथ सार्थक सकारात्मक चर्चा करे। बिना चर्चा के यूनिफार्म सिविल कोड पर चल रही बहस संविधान सम्मत नहीं है। साथ ही कहा सरकारों का काम समस्याओं के समाधान का है न कि धार्मिक मसले उत्पन्न करने का।