इमरान का ‘कटोरा’ अब शहबाज के हाथ में
पाकिस्तान के नए-नवेले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जल्द ही चीन और सऊदी अरब की यात्रा पर जाने वाले हैं। इस यात्रा का प्रमुख मकसद कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान को बचाना है। पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। पूरे देश के ऊपर हजारों करोड़ का कर्ज है। आतंकवाद और अस्थिरता के कारण पाकिस्तान में उद्योग-धंधे लगातार बंद हो रहे हैं। रही-सही कसर फाइनेंशियल ऐक्शन टॉस्क फोर्स की ग्रे लिस्ट ने कर दिया है। जिसके बाद शहबाज शरीफ सरकार के सामने पाकिस्तान को डिफाल्टर होने से बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। पाकिस्तान को इसी साल जून के अंत तक 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी अदा करना है, जबकि देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गोते लगा रहा है।
पाकिस्तान के पास कर्ज की किश्त भरने के पैसे भी नहीं
दुनियाभर के देशों के वित्तीय हालात पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फिच रेटिंग्स ने पाकिस्तान में नई सरकार बनने पर चिंता जताई है। फिच रेटिंग्स ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में कहा था कि सरकार में हालिया बदलाव ने पाकिस्तान की आर्थिक और वित्तीय अनिश्चितता को बढ़ाया है, कम नहीं किया है। कुल मिलाकर पाकिस्तान को वित्तीय वर्ष 2023 में बाहरी कर्ज को चुकाने में 20 बिलियन डॉलर खर्च करने पड़ेंगे, इसमें चीन और संयुक्त अरब अमीरात का 4.5 बिलियन डॉलर की राशि भी शामिल है। फरवरी तक, पाकिस्तान के पास आधिकारिक तौर पर 21.6 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, हालांकि इनमें से अधिकतर विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल पाकिस्तान नहीं कर सकता है।