14 साल बाद इंसाफ: 70 मिनट, 22 धमाके, 56 मौतें

जिस तरह मुंबई के साथ 27 नवंबर 2008 की तारीख पैबस्‍त है, उसी तरह अहमदाबाद की याद्दाश्‍त उसे 26 जुलाई 2008 का दिन भूलने नहीं देती। सिविल अस्‍पताल हो, नगर निगम का एलजी अस्‍पताल, बसें, पार्किंग में खड़ी साइकलें, कारें… अहमदाबाद में उस दिन 70 मिनटों के बीच 22 धमाके हुए। जिधर देखो उधर तबाही का मंजर था। 56 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई। 200 से ज्‍यादा घायल हुए। कुल 24 बम लगाए गए थे। कलोल और नरोदा में लगा बम नहीं फटा। करीब 14 साल बाद, 2008 अहमदाबाद सीरियल बम ब्‍लास्‍ट केस में स्‍पेशल कोर्ट का फैसला आया है। अदालत ने 49 में से 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। बाकी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली है।

यश व्यास उस वक्‍त सिर्फ 10 साल के थे जब 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद के असारवा इलाके में एक अस्पताल का एक वार्ड बम विस्फोट से दहल उठा था। वह भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं कि उनकी जान बच गई, लेकिन एक दिन भी ऐसा नहीं गुजरता कि वह अपने पिता और बड़े भाई को याद नहीं करते, जिनकी धमाके में मौत हो गई थी।

यश अब 24 साल के हैं। वह साइंस से ग्रैजुएशन कर रहे हैं। यश उस धमाके में 50 प्रतिशत से ज्‍यादा झुलस गए थे। आईसीयू में बिताए चार महीनों को याद करते हुए वह कहते हैं कि आज तक पूरी तरह नहीं उबर पाए हैं। उन्होंने PTI से कहा, ‘विस्फोट के चलते मुझे अब भी सुनने में कुछ दिक्कत पेश आ रही है।’

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