शिक्षा के अभाव में मरीज इलाज से डरते हैं
विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसका लक्ष्य लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूक करना है। लेकिन 22 साल पहले शुरू हुई ये पहल अब भी भारत की स्थिति में खासा सुधार नहीं ला पाई है। देश में कैंसर आज भी एक ऐसा विषय बना हुआ है, जिस पर लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते।
ऐसा क्यों है, ये जानने के लिए हमने अपोलो सीबीसीसी कैंसर केयर हॉस्पिटल अहमदाबाद के सीनियर रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विवेक बंसल से बातचीत की।
सवाल- लोगों में कैंसर के विषय पर कम जागरूकता होने के क्या कारण हैं?
जवाब- कैंसर के बारे में कम जागरूकता के पीछे एक बड़ा कारण शहरों और गांवों में शिक्षा की कमी है। ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी खराब है। शिक्षित न होने की वजह से मरीज इलाज के लिए देर से पहुंचते हैं और कैंसर के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसी जगहों पर चिकित्सा सुविधाएं भी अच्छी नहीं होतीं। उदाहरण के लिए, अगर किसी मरीज को मुंह में अल्सर कैंसर है तो ये मुमकिन है कि लोकल डॉक्टर उसे कोई और बीमारी बताकर उसका इलाज कर देगा। कैंसर होने की संभावना को पूरी तरह नकार देना भी जागरूक न होना कहलाता है।
सवाल- टियर 1 शहरों की तुलना में टियर 2 और 3 शहरों की स्थिति किस तरह अलग है?
जवाब- टियर 2 और टियर 3 शहरों में खराब एजुकेशन सिस्टम कैंसर की जानकारी न होने का बहुत बड़ा कारण है। इन शहरों में चिकित्सा सुविधाओं और स्वच्छता में कमी होती है। लोग शराब और तंबाकू का सेवन ज्यादा करते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है। इन इलाकों में आम आदमी आर्थिक, धार्मिक और सामाजिक कारणों से कैंसर का इलाज करवाने से डरता है। जब तक वे अपनी परेशानियां लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है।