सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन के पैमानों में दखल से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण पर बड़ा फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसके पैमाने तय करने में दखलंदाजी से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, यह राज्यों को करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें रिजर्वेशन तय करने से पहले इसका डेटा इकट्ठा करें। अदालत ने कहा कि सरकारें समय-समय पर यह समीक्षा भी करें कि SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण में सही प्रतिनिधित्व मिला है या नहीं। इस रिव्यू के लिए एक अवधि भी तय करनी चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि 2006 के नागराज और 2018 के जरनैल सिंह मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट कोई नया पैमाना नहीं बना सकती है। केंद्र और राज्यों से जुड़े आरक्षण के मामलों में स्पष्टता पर सुनवाई 24 फरवरी से शुरू होगी।
क्या कहा कोर्ट ने?
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायधीशों की पीठ की कर रही थी। जस्टिस एल नागेश्वर राव, संजीव खन्ना और बी आर गवई की बेंच ने कहा कि संबंधित राज्य सरकार एम नागराज बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले में निर्धारित डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य है।
कोर्ट ने कहा, ” पहले के फैसलों में तय आरक्षण के प्रावधानों और पैमाने में हम कोई दखल नहीं दे सकते हैं। राज्य एससी-एसटी जनजातियों के कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले क्वॉन्टेटिव डेटा जुटाने के लिए बाध्य है। SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण में सही प्रतिनिधित्व मिला है या नहीं। इस रिव्यू के लिए एक अवधि भी तय करनी चाहिए। हमने इसकी मापदंड का आकलन करने के लिए इसे राज्य पर छोड़ दिया है।”