क्या पुतिन यूक्रेन पर हमला कर राष्ट्रवाद के नायक बनना चाहते हैं?
यूक्रेन और रूस में युद्ध के बादल घने होते जा रहे हैं। रूस ने यूक्रेन से जुड़ी थल सीमा पर एक लाख से ज्यादा सैनिकों की तैनाती के बाद समुद्र में भी घेराबंदी शुरू कर दी है। इन सब के बीच एक सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर पुतिन यूक्रेन पर हमले के लिए इतने उतारू क्यों हैं? एक्सपर्ट्स इसके पीछे सबसे बड़ी वजह 1992 के सोवियत यूनियन के विघटन को मानते हैं।
सोवियत पतन के बाद यूक्रेन का अलग देश बनना रूस के लिए सबसे तकलीफदेह घटना रही। पुतिन यूक्रेन को फिर से रूस में मिलाकर इतिहास बदलना चाहते हैं। पुतिन रूसी राष्ट्रवाद का नायक बनाना चाहते हैं। 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद अब यूक्रेन पर रूसी हमले का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ गया है।
हाल ही के सालों में यूक्रेन का पश्चिमी देशों से मेलजोल बढ़ा है। इस वजह से भी पुतिन यूक्रेन को करारा सबक सिखाने के फेर में है। इसके अलावा अगर यूक्रेन नाटो गठबंधन में शामिल हो जाता है तो, नाटो सेना रूसी बॉर्डर के नजदीक पहुंच जाएगीं। पुतिन इस वजह से भी आक्रामक मोड में है।
यूक्रेन पर रूसी हमले के खतरे के बीच नाटो की एकता की भी अग्नि परीक्षा हो रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी कुछ वक्त पहले नाटो की एकता पर संदेह जता चुके हैं। इसका एक उदाहरण तब देखने को मिला था जब अमेरिका के अनुरोध के बाद भी जर्मनी ने यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने से इनकार कर था।
जर्मनी के नेवी चीफ के-एचिम शॉनबाख ने भी यूक्रेन मामले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तारीफ कर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने विवाद बढ़ता देख इस्तीफा दे दिया, लेकिन इसके बाद भी यूक्रेन ने इस मामले को लेकर जर्मनी से स्पष्टीकरण मांगा।