भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर की मदद से गोबर से बिजली बनाएंगे

 सीएम बने तीन साल हो गए, लेकिन उनके मन में एक पल को भी यह नहीं आया कि उन्हें सत्ता सुख भोगना चाहिए। वो तो लोगों की सेवा करने के लिए हैं। विपक्ष में थे तब भी सेवा करते थे और आज मुख्यमंत्री हैं तो भी वही भाव है। हमने उनसे बीते 3 साल नहीं आने वाले 2 साल पर बात की। इस दौरान उनकी बातचीत में साफ झलका कि छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ की जनता की बेहतरी के लिए उनके फ्यूचर प्लान एकदम स्पष्ट है

आने वाले दो सालों में प्रदेश को ग्रीन एनर्जी की तरफ ले जाना है। हमारे अधिकारी, सलाहकार भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर जैसे बड़े संस्थानों के विशेषज्ञों के संपर्क में हैं कि गोबर से बड़े पैमाने पर बिजली कैसे बनाएं। छोटे पैमाने पर तो हम बना चुके हैं।

बेमेतरा, कवर्धा में कुछ केंद्रों में बिजली ऐसे ही बन रही है, लेकिन अब इसे व्यवसायिक स्तर पर ले जाना है। हमारी योजना तो प्रदेश के गांव-गांव में गोबर से बिजली बनाने वाले प्लांट लगाने की है। इतना ही नहीं एक रिसर्च हम करा रहे हैं, जिसमें पोर्टेबल सिस्टम के जरिए गांवों में जहां गोबर की कम मात्रा होगी वहां जाकर बिजली का उत्पादन कर सकेंगे। जितनी बिजली बनेगी, उसके हिसाब से गो पालकों की राशि का हिसाब हो जाएगा।

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