पटाखे पर प्रतिबंध तो पांच लाख लोगों के रोजगार पर संकट

नई दिल्ली
इस बार दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) में दिवाली के दौरान पटाखा (Firecrackers) जलाने पर प्रतिबंध है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का आदेश है, इसलिए इस पर अमल भी सख्ती से हो रहा है। जिन राज्यों में वायु गुणवत्ता (Air Quality) ठीक नहीं है, वहां भी कहीं आंशिक तो कहीं पूर्ण प्रतिबंध है। इससे आपके पैसे भल ही बच गए हों, लेकिन आपको मालूम है कि सिर्फ दिवाली (Diwali) में कितने का पटाखा (Firecrackers) बिक जाता है। पटाखा का पूरा उद्योग भी है, जिसमें लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।

शिवकाशी के माथे पर शिकन
दिवाली में पटाखों की बिक्री और उनके जलाने पर कहीं-कहीं लगे प्रतिबंधों से व्यापार से जुड़े लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। तमिलनाडु के शिवाकाशी (Sivakasi) में इसको लेकर गंभीर चिंता है, क्योंकि देश में बिकने वाले 80 फीसदी पटाखे शिवाकाशी में ही बनते हैं। गौरतलब है कि पटाखा कारोबार से देश भर में करीब पांच लाख लोगों को रोजगार मिलता है। इसके साथ ही यदि बिक्री सामान्य हो तो लाखों लोग इसे बेचते भी हैं।

देश में कितना है पटाखों का कारोबार?
ऑल इंडिया फायरवर्क्स एसोसिएशन (All India Fireworks Association) के मुताबिक शिवकाशी में करीब 1100 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। पिछले साल तो कोरोना के साये में बीता। लेकिन इससे पहले, 2016 में सिर्फ शिवकाशी में ही वर्ष 6,000 करोड़ रुपये का पटाखे का कारोबार हुआ था। यदि देश के अन्य इलाकों में बनने वाले पटाखों को भी शामिल करें तो इसका लगभग 9,000 करोड़ का कारोबार है। शिवकाशी में पटाखा कारोबार से प्रत्यक्ष रूप से तीन लाख लोग जुड़े हैं। देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी पटाखे बनते हैं। इस तरह से कुल मिला कर पांच लाख लोगों को इससे रोजगार मिलता है।

कितना होता है पटाखों का आयात?
पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव्स सैफ्टी ऑर्गेनाइजेशन ने एक्सप्लोसिव्स रूल्स 2008 के तहत फायरवर्क्स के आयात के लिए कोई लाइसेंस नहीं दिया है। लेकिन, ऐसा बताया जाता है कि देश में गैर कानूनी तरीके से करीब 30 फीसदी पटाखे आते हैं। ये पटाखे मुख्य रूप से चीन से आते हैं। दरअसल, भारतीय पटाखों की तुलना में चीनी पटाखे 30 से 40 फीसदी सस्ते होते हैं। इसके साथ ही ये आसानी से फटते भी हैं। इस वजह से चीनी पटाखे खूब पसंद किए जाते हैं।

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