चिप की कमी से 169 उद्योगों में उत्पादन पर असर

इस समय दुनियाभर में सेमी कंडक्टर चिप्स की कमी महसूस की जा रही है। गोल्डमैन सॉक्स के अनुसार 169 उद्योग चिप की कमी से जूझ रहे हैं। स्टील, कांक्रीट, एयरकंडीशनिंग, ब्रुअरीज, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो से लेकर कई इंडस्ट्री प्रभावित हैं। अमेरिका, जापान, यूरोप और एशिया में वाहनों का उत्पादन धीमा पड़ गया है।

इस साल पिछले साल के मुकाबले 39 लाख कारों का प्रोडक्शन कम हो सकता है। इस मौके पर विश्व का ध्यान चिप बनाने वाली सबसे बड़ी ताइवानी कंपनी-ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) की ओर है। कंपनी के हाथ में चिप के ग्लोबल मार्केट का आधे से ज्यादा हिस्सा है। अनुमान है, कंपनी 90% आधुनिक माइक्रो प्रोसेसर सप्लाई करती है।

पिछले 50 साल में सेमीकंडक्टर चिप्स का महत्व बढ़ा
कंसल्टिंग फर्म बैन एंड कंपनी के सेमीकंडक्टर विशेषज्ञ पीटर हेनबरी कहते हैं, टीएसएमसी बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इस आधुनिक टेक्नोलॉजी में कंपनी का लगभग एकाधिकार है। पिछले 50 साल में सेमीकंडक्टर चिप्स का महत्व बेहद बढ़ा है। 1969 में अंतरिक्ष यान अपोलो के लुनार मॉड्यूल ने 35 किलो वजनी हजारों ट्रांजिस्टर चंद्रमा पर भेजे थे।

आज एपल की मेकबुक में 16 अरब ट्रांजिस्टर का वजन केवल डेढ़ किलो है। मोबाइल फोन, इंटरनेट से जुड़ी वस्तुओं , 5 जी, 6 जी टेलीकॉम नेटवर्क और कंप्यूटिंग की बढ़ती मांग से चिप्स के उपयोग में विस्तार होता रहेगा। 2020 में विश्व में 33 लाख करोड़ रुपए से अधिक चिप की बिक्री हुई थी। इसमें हर साल 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है।

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