राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) में संशोधन किया जा रहा है:आईआईटी दिल्ली, एम्स एवं अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों का सहयोग लिया जायेगा

12 सितंबर (भाषा) हवा में अति सूक्ष्म प्रदूषक तत्वों की मात्रा, उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के आकलन एवं नये तरह के ईंधन के उपयोग से जुड़े विषयों को ध्यान में रखते हुए देश में 2009 में विकसित राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) में संशोधन किया जा रहा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) में संशोधन किया जा रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर को यह दायित्व दिया गया है। इस कार्य के लिये एक स्थायी समिति का भी गठन किया गया है।’

अधिकारी ने बताया, ‘‘अब हम इन मानकों में संशोधन कर रहे हैं ताकि अति सूक्ष्म प्रदूषक तत्व (पीएम) का आकलन करने के साथ स्वास्थ्य से जुड़े आयामों पर भी ध्यान दिया जा सके।’’ उन्होंने बताया कि संशोधित एनएएक्यूएस को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श करके अंतिम रूप दिया जायेगा और इसमें आम लोगों की राय भी ली जायेगी ।

उन्होंने बताया कि इस कार्य में आईआईटी दिल्ली, एम्स एवं अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों का सहयोग लिया जायेगा ।

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