ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह तेजी से पिघल रहा आल्प्स पर्वतमाला के सबसे बड़े ग्लेशियर अलेत्शो

पिछले 10 साल में आल्प्स पर्वतमाला के सबसे बड़े ग्लेशियर अलेत्शो एक क्यूबिक किमी तक पिघल गया है। हाल ही में यहां विशषज्ञों की टीम पहुंची है, जो इसके पिघलने के कारणों पर रिसर्च कर रही है। टीम के वैज्ञानिक मैथियास हुस्सो बताते हैं कि ‘अलेत्शो’ आल्प्स पर्वतमाला का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।

स्विट्जरलैंड के करीब 1800 ग्लेशियरों में कुल बर्फ का पांचवां हिस्सा अलेत्शों में ही है। लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह तेजी से पिघल रहा है। करीब 80 वर्ग किमी बर्फ की चट्‌टानों वाले इस ग्लेशियर की मोटाई डेढ़ मीटर प्रतिवर्ष कम हो रही है। यह प्रक्रिया 2010 से जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि चिंता की बात यह है कि ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार और तेजी से बढ़ रही है। आल्प्स यूरोप की सबसे बड़ी पर्वतमाला है।

हुस्सो और उनकी संस्था ग्लैमॉस 20 स्विस ग्लेशियरों की निगरानी करते हैं। हुस्सो कहते हैं कि ग्लेशियर धरती के विशाल थर्मामीटर हैं, जिनका पिघलना बताता है कि तापमान तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि जीवाश्म ईंधन जलने से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। इससे 19वीं सदी की तुलना में धरती का तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। अगर यह रफ्तार जारी रही तो 20 सालों में दुुनिया के कई ग्लेशियर गायब हो जाएंगे।

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