आरोपों की जांच के लिए केंद्र सरकार कमेटी बनाएगी
पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने इस मामले पर कोर्ट में हलफनामा दायर किया और कहा कि वह कथित पेगासस जासूसी की जांच के लिए एक्सपर्ट की कमेटी बनाएगी। वहीं, कोर्ट ने सरकार को ट्रिब्यूनल में नियुक्ति के लिए 10 दिन का समय दिया।
केंद्र ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेगासस को लेकर सरकार पर लगाए आरोपों को निराधार बताया। याचिका में कहा गया कि पत्रकारों, नेताओं, स्टाफ की स्पाइवेयर से जासूसी का दावा अनुमानों पर आधारित है। इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन मिनिस्ट्री के एडिशनल सेक्रेटरी ने दो पन्नों का एफिडेविट दायर किया है। इसमें कहा है कि इस मामले में फैलाई गई गलत धारणाओं को दूर करने के लिए जांच कराने का फैसला हुआ।
पिटीशनर्स को अनुशासन बरतने की हिदायत
इससे पहले 10 अक्टूबर को पेगासस से जुड़ी 9 अर्जियों पर कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा था, जिसके बाद सुनवाई 16 अगस्त तक टाल दी गई। वहीं, CJI NV रमना ने मामले पर सोशल मीडिया और वेबसाइट्स पर चल रही बहस को लेकर पिटीशनर्स को अनुशासन बरतने की हिदायत दी थी।
पिटीशनर्स की क्या है मांग?
पिटीशनर्स की मांग है कि पेगासस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर या मौजूदा जज की अध्यक्षता में गठित SIT से करवाई जाए। केंद्र को यह बताने के लिए कहा जाए कि क्या सरकार या फिर उसकी किसी एजेंसी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है? क्या पेगासस स्पाइवेयर का लाइसेंस लिया गया?