अपनी लोन डिटेल्स को पब्लिक नहीं करना चाहती कंपनियां
नई दिल्ली
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अगस्त से क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (CRAs) के लिए अपने क्लाइंट्स की बैंक वाइज टर्म लोन डिटेल्स (bank-wise term-loan details) का खुलासा करना अनिवार्य बना दिया है। यह उन क्लाइंट्स के लिए है जिनकी रेटिंग की पुष्टि की गई है या जिन्हें नए सिरे से रेटिंग दी गई है। इसका मकसद रेटिंग रिपोर्ट्स में डिसक्लोजर्स को बढ़ावा देना था।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने इस केंद्रीय बैंक के इस ऑर्डर को लागू करना शुरू कर दिया था लेकिन सूत्रों के मुताबिक कंपनियां इस तरह के खुलासे का विरोध कर रही हैं। एक अग्रणी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के सीईओ ने कहा कि कई कंपनियों इस तरह उनके लोन की डिटेल्स पब्लिक किए जाने से खुश नहीं हैं और इस तरह की कवायद का हिस्सा नहीं बनना चाहती हैं। कंपनियों ने भी आरबीआई से अपने इस ऑर्डर पर पुनर्विचार करने को कहा है।
आरबीआई को करना है फैसला
कुछ बड़ी कंपनियों ने आरबीआई को पत्र लिखकर इस ऑर्डर को वापस लेने की अपील की है। एक प्रमुख सीमेंट कंपनी के सीएफओ ने कहा कि बैंकों और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के साथ साझा की गई जानकारी बहुत गोपनीय है। इस तरह की जानकारी को सार्वजनिक करने की क्या जरूरत है। आरबीआई के मुताबिक पारदर्शिता बढ़ाने के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को कर्जदार कंपनी के बैंकवार बकाये की जानकारी देना जरूरी है।