पंजाब विधानसभा ने केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ 4 विधेयक पारित किए
पंजाब विधानसभा में केंद्र सरकार के तीन नए कृषि सुधार कानूनों को प्रभावहीन करने को करीब साढ़े पांच घंटे की बहस के बाद सर्वसम्मति से चार विधेयक पारित किए गए हैं। इन विधेयकों के माध्यम से केंद्र सरकार के कानूनों के प्रावधानों को बेअसर करने के कई प्रावधान किया गया है। हालांकि, विशेषज्ञों की मानें तो पंजाब सरकार के लिए केंद्रीय कृषि कानूनों को बेअसर कर पाना इतना आसान भी नहीं है, जितना समझा जा रहा है। ऐसा क्यों है, यह जानने के लिए दोनों स्थितियों के बीच के अंतर को समझना होगा।
विधानसभा में पारित बिलों पर राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी
विधानसभा में पारित कृषि बिलों को कानून बनने के लिए अब राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी। इस बारे में प्रसिद्ध कानूनविद जेएस तूर का कहना है कि क्योंकि यह समवर्ती सूची का मामला है और इस विषय पर केंद्र सरकार ने पहले ही कानून बना दिए हैं, ऐसे में पंजाब विधानसभा में पारित विधेयकों को लागू करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी। राज्यपाल के माध्यम से ही ये विधेयक राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे। राज्यपाल केवल इस पर कानूनी राय लेकर कृषि मंत्रालय को भेजेंगे। उसके बाद मंत्रालय ने यह राष्ट्रपति को भेजना है। इस विषय पर अब केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने ही कानून बना दिए हैं, अब फैसला राष्ट्रपति को करना है। राष्ट्रपति के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं है।