‘डर के आगे नहीं, अन्याय के खिलाफ खड़े होने में है असली हिम्मत’
मुंबई: ‘नवरात्रि का छठा दिन हमें याद दिलाता है कि असली शक्ति वही है जो डर के सामने खड़े होने और अपने विश्वास पर टिके रहने की ताकत देती है। साथ ही यह हमें सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना भी असली शक्ति है। हाल ही में फिलिस्तीन में जो नरसंहार हो रहा है, उसके खिलाफ मैंने आवाज उठाई। इस भयानक अन्याय के सामने हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम चुप न रहें और अपनी आवाज उठाएं। मुझे यह पता था कि इस पर अपनी राय रखूंगी ताे मुझे ट्रोलिंग और विरोध का सामना करना पड़ेगा। लेकिन मेरे लिए यह सही निर्णय था। ऐसे समय में खड़े होना जरूरी था। मैं अपने कर्तव्य के हिसाब से बोलना चाहती थी। यही वह पल था जब मुझे सच में महसूस हुआ कि साहस और न्याय के लिए खड़े होना ही असली शक्ति है।’
छोटी-छोटी कोशिशों में ताकत होती है
‘मैंने महसूस किया कि असली हिम्मत तो इन रोजमर्रा की छोटी-छोटी कोशिशों में होती है। ये महिलाएं अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं। अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने की कोशिश करती हैं। और इसके बावजूद अक्सर अनदेखी रहती हैं। यह देखकर मुझे समझ आया कि साहस सिर्फ बड़े पल में नहीं होता। हर दिन की मेहनत और संघर्ष में भी साहस छिपा होता है।’
माता-पिता का समर्थन ही सब कुछ है