विदेश

डिजिटल खपत कर रही है लाखों लीटर पानी की बर्बादी

लंदन । यूके की पर्यावरण एजेंसी और नेशनल ड्रॉट ग्रुप ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने पुराने ईमेल और फोटो डिलीट करें क्योंकि डिजिटल खपत भी लाखों लीटर पानी की बर्बादी कर रही है। मौसम विभाग के मुताबिक जनवरी से जुलाई 2025 का वक्त 1976 के बाद का सबसे सूखा रहा है। इंग्लैंड के पांच इलाके आधिकारिक तौर पर सूखा प्रभावित घोषित किए गए हैं, जबकि छह अन्य इलाके लंबे समय से सूखे मौसम की श्रेणी में हैं। दक्षिणी इंग्लैंड में 35 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंचने से पहले से कम हो चुके जल स्रोतों पर और दबाव पड़ा है। सरकार का कहना है कि सूखे से निपटने के लिए पारंपरिक बचत उपायों के साथ-साथ डिजिटल क्लीनिंग भी जरूरी है। लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ईमेल और पानी का आपस में क्या संबंध है। दरअसल, हर ईमेल, फोटो या फाइल किसी न किसी डेटा सेंटर में स्टोर होती है और इन्हें 24 घंटे ठंडा रखने के लिए कूलिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है, जिसमें करोड़ों लीटर पानी खर्च होता है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च बताती है कि 1 मेगावॉट का डेटा सेंटर सालाना लगभग 2.6 करोड़ लीटर पानी खा जाता है। इसके अलावा डेटा सेंटर चलाने के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है और बिजली उत्पादन भी पानी पर निर्भर है। यानी डिजिटल खपत का भी सीधा असर पानी के इस्तेमाल पर पड़ता है। नेशनल ड्रॉट ग्रुप का कहना है कि “हर क्लिक, हर फोटो और हर ईमेल का एक छुपा हुआ वॉटर फुटप्रिंट है।” हालांकि कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ एक ईमेल डिलीट करने से पानी की वास्तविक बचत बहुत कम होगी, लेकिन यह कदम लोगों को जागरूक करने के लिए जरूरी है ताकि वे समझ सकें कि डिजिटल दुनिया भी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करती है।
सरकार ने पारंपरिक कदमों पर भी जोर दिया है, जैसे लीक हो रहे नलों को ठीक करना, बारिश का पानी स्टो

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