“मोराग कॉरिडोर: गाजा का वो रणनीतिक रास्ता, जिस पर इजरायल-हमास में आर-पार की जंग

तेल अवीव । गाजा युद्धविराम की संभावनाएं भले ही अंतरराष्ट्रीय दबाव और अमेरिकी मध्यस्थता के कारण होता दिख रहा हो, लेकिन एक 12 किमी लंबा मोराग कॉरिडोर इस सीजफायर में सबसे बड़ी अड़चन बना हुआ है। इजरायल और हमास दोनों इसके मुद्दे पर अड़े हुए हैं और यही गतिरोध बंधक रिहाई और संघर्ष विराम समझौते को रोक रहा है।
दरअसल मोराग कॉरिडोर राफा और खान यूनिस के बीच स्थित है, जो दक्षिणी गाजा पट्टी में आता है। तीन महीने पहले, इजरायली सेना ने इलाके पर नियंत्रण कर लिया था। इसका नाम “मोराग” एक पुराने यहूदी बस्ती से जुड़ा है जो 2005 में गाजा से इजरायली वापसी के दौरान हटाई गई थी।
इजरायल “दूसरा फिलाडेल्फी कॉरिडोर” कह रहा है, इसका मतलब है कि यह गाजा को दो हिस्सों में बांटकर हमास की मूवमेंट और सप्लाई को रोक सकता है।
इस पूरे मामले में इजरायली रणनीति यह है कि मोराग कॉरिडोर पर कब्जा रखकर, वह हमास को सैन्य और प्रशासनिक रूप से अलग-थलग कर सके। इजरायल का प्रस्ताव है कि इस कॉरिडोर के दक्षिण में नई बस्तियां बसाकर वहां विस्थापित फिलिस्तीनियों को हमास के प्रभाव से बाहर रखा जाए।
इतना ही नहीं इजरायली सेना कॉरिडोर को “बफर जोन” की तरह इस्तेमाल करना चाहती है, ताकि राफा क्रॉसिंग से आने-जाने वालों की निगरानी रखी जा सके।
लेकिन हमास का कहना है कि मोराग पर कब्जा सीजफायर के उल्लंघन के बाद हुआ था, इसलिए इजराइल को इसका नियंत्रण छोड़ना ही होगा। संगठन ने बंधक समझौते में स्पष्ट रूप से मांग रखी है कि जब तक इजरायल सेना मोराग से पीछे नहीं हटती, कोई डील नहीं होगी। उनके अनुसार, इस कॉरिडोर का नियंत्रण इजरायल को गाजा में स्थायी सैन्य उपस्थिति का रास्ता देता है।
अमेरिका और अरब देशों की ओर से इजरायल पर दबाव बनाया जा रहा हैं कि युद्धविराम के बदले गलियारे से पीछे हटे। लेकिन नेतन्याहू गलियारे को सुरक्षा का मुद्दा बताकर कहते हैं कि यह हमास पर रणनीतिक दबाव बनाए रखने के लिए जरूरी है। इस जिद के चलते ट्रंप की मध्यस्थता की कोशिशें भी अनिर्णायक बनी हुई हैं।
इसकारण इजरायली बंधकों की रिहाई, जो युद्धविराम वार्ता की केंद्रीय मांग है, मोराग कॉरिडोर विवाद में फंस गई है। हमास बिना इस गलियारे से वापसी के किसी भी सौदे को खारिज कर रहा है। उधर, गाजा में 57,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, और हालात मानवीय संकट की ओर बढ़ रहे हैं।

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