मप्र में कुपोषण कम करने एम्स में होगा शोध
भोपाल। मप्र बच्चों के कुपोषण मामले में देश में सबसे आगे है। पोषण आहार की कई योजनाओं के बाद भी मध्य प्रदेश कम वजन के बच्चों के प्रतिशत के मामले में देश में पहले स्थान पर है। यहां छह वर्ष तक की उम्र के 27 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं, जो देश में सर्वाधिक है। अब इस कुपोषण को कम करने के लिए एम्स भोपाल आगे आया है और यहां के चिकित्सक बच्चों में होने वाले कुपोषण की वजह को तलासेंगे इस पर शोध करेंगे। इसके लिए आईसीएमआर से एम्स भोपाल को ढाई करोड रुपए का बजट आवंटित किया गया है। एम्स भोपाल को जोखिमग्रस्त बच्चों में प्रारंभिक बाल्य विकास (ईसीडी) पर शोध के लिए आईसीएमआर इंटरमीडिएट ग्रांट से सम्मानित किया गया है। यह शोध परियोजना शुरुआती जैविक और मनोवैज्ञानिक अनुभवों का मस्तिष्क विकास पर प्रभाव समझने और इससे जुड़े समस्याओं का समाधान करने पर केंद्रित है। इस परियोजना में कुपोषण, आयरन और आयोडीन की कमी, संज्ञानात्मक उत्तेजना की कमी और मातृ अवसाद जैसे प्रमुख कारकों का अध्ययन किया जाएगा, जो बच्चों के विकास में बाधा बनते हैं।