विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने में बैंकों को क्यों सावधानी बरतने को कहा हाई कोर्ट ने

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने जानबूझकर कर्ज न लौटाने वालों (विलफुल डिफॉल्टर) के संबंध में महत्वपूर्ण बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि बैंक अथवा वित्तीय संस्थानों को किसी व्यक्ति को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने से पहले तर्क संगत आदेश जारी करना चाहिए। यह 2015 के आरबीआई मास्टर सकुर्लर के तहत जरूरी है। जस्टिस बीपी कुलाबावाला और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की बेंच ने आईएल एंड एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएफआईएन) के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक मिलिंद पटेल की याचिका पर यह फैसला सुनाया है।

फैसले में स्पष्ट किया गया है कि डिफॉल्टर घोषित होने के गंभीर सिविल परिणाम सामने आते है। संक्षेप में कहे तो डिफॉल्टर घोषित होने के बाद व्यक्ति वित्तीय क्षेत्र से बाहर हो जाता है, ऐसे व्यक्ति को किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से कोई सुविधाएं नहीं दी जाती है। इसलिए बैंकों को इस संबंध में अधिकारों का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए।

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