चारों धाम सहित 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की घोषणा कर सकते हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज केदारनाथ धाम पहुंचे हैं, लेकिन उससे पहले उत्तराखंड के CM पुष्कर धामी को केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाना पड़ा। दरअसल, वहां के पुरोहित समाज ने चेतावनी दी थी कि वे एकजुट होकर PM के दौरे का विरोध करेंगे। पुरोहित समाज राज्य के मंदिरों को सरकारी कब्जे में लेने के लिए बने चार धाम देवस्थानम बोर्ड से नाराज है और पिछले 4 महीने से इसका विरोध कर रहा है। पंडे-पुरोहितों की नाराजगी से घबराए पुष्कर धामी को खुद पुरोहित समाज से बात करने के लिए जाना पड़ा।
सूत्रों की मानें तो पुरोहितों के साथ हुई बंद कमरे में मीटिंग में CM ने आश्वासन दिया है कि पुरोहित समाज के हक में ही फैसला आएगा। उन्होंने देवास्थानम बोर्ड को भंग करने की बात PM से करने का आश्वासन भी दिया है। हालांकि, उन्होंने खुलकर यह नहीं कहा है कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड भंग किया जाएगा, लेकिन सूत्रों की मानें तो पुरोहितों की नाराजगी को देखते हुए PM दौरे के तीन दिन पहले सीएम का केदारनाथ के दौरे का फैसला दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व से बातचीत के बाद ही लिया गया है।
बातचीत में तय हुआ है कि PM के दौरे में बोर्ड को भंग करने का भरोसा पुरोहितों को दिलाया जाएगा। बोर्ड भंग होने की औपचारिक घोषणा का वक्त भी लगभग तय हो गया है। 30 नवंबर तक बोर्ड को भंग कर दिया जाएगा।
15 जनवरी, 2020 में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत प्रदेश के 51 मंदिरों का प्रबंधन हाथ में लेने के लिए ‘चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ बनाया था। मंदिरों के पुरोहितों ने मंदिरों के सरकारीकरण का विरोध किया। उत्तराखंड सरकार के इस कदम को हिन्दुओं की आस्था में दखल करार देते हुए साधु-संत और पुरोहितों समाज एकजुट हो गया। पिछले सवा साल से लगातार इस फैसले के खिलाफ उत्तराखंड में आंदोलन जारी था।